सुख का दाता, सब का साथी, शुभ का यह संदेश है, मां की गोद, पिता का आश्रय, मेरा मध्यप्रदेश है।
विंध्याचल सा भाल, नर्मदा का जल जिसके पास है, यहां ताप्ती और बेतवा का पावन इतिहास है। उर्वर भूमि, सघन वन, रत्न सम्पदा जहां अशेष है, स्वर-सौरभ-सुषमा से मंडित, मेरा मध्यप्रदेश है।
सुख का दाता, सब का साथी, शुभ का यह संदेश है, मां की गोद, पिता का आश्रय, मेरा मध्यप्रदेश है।
क्षिप्रा में अमृत घट छलका, मिला कृष्ण को ज्ञान यहां, महाकाल को तिलक लगाने, मिला हमें वरदान यहां। कविता, न्याय, वीरता, गायन, सब कुछ यहां विशेष है, हृदय देश का यह, मैं इसका, मेरा मध्यप्रदेश है।
सुख का दाता, सब का साथी, शुभ का यह संदेश है, मां की गोद, पिता का आश्रय, मेरा मध्यप्रदेश है।
चंबल की कल-कल से गुंजित, कथा तान, बलिदान की, खजुराहो में कथा कला की, चित्रकूट में राम की। भीमबैठका आदिकला का, पत्थर पर अभिषेक है, अमृतकुंड अमरकंटक में, ऐसा मध्यप्रदेश है।
सुख का दाता, सब का साथी, शुभ का यह संदेश है, मां की गोद, पिता का आश्रय, मेरा मध्यप्रदेश है।
महेश श्रीवास्तव
पत्थर में शिल्पांकन ‘सर्जना’ शिविर का विधिवत् शुभारम्भ हुआ, रवीन्द्र भवन स्थित नीलांबरी मैदान में 20 दिन तक गढ़े जायेंगे भारतीय संस्कृति पर आधारित शिल्प
मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा रवीन्द्र भवन परिसर स्थित नीलाम्बरी मैदान में 10 फरवरी, 2023 को सायं 4 बजे पत्थर में शिल्पांकन ‘सर्जना’ शिविर का विधिवत् शुभारम्भ हुआ। इस अवसर पर संचालक संस्कृति श्री अदिति कुमार त्रिपाठी एवं सहायक संचालक—संस्कृति संचालनालय सुश्री वंदना जैन एवं शिविर में पधारे देश के ख्यातिलब्ध शिल्पकार विशेष रूप से उपस्थित रहे। इस दौरान संचालक संस्कृति श्री अदिति कुमार त्रिपाठी ने मकराना से आए संगमरमर पत्थर पर नारियल एवं पुष्प अर्पित कर छेनी—हथौड़ा मारकर विधिवत् शिविर का शुभारम्भ किया। शिविर में पधारे सभी शिल्पकारों का पुष्पगुच्छ भेंट कर अभिवादन किया।
गौरतलब है की इस शिविर में देश के 16 ख्यातिलब्ध शिल्पकार शामिल हुए हैं, जो मकराना से लाये गये अलग-अलग रंगों, जिनमें पीला, काला, सफेद इत्यादि संगमरमर पत्थर पर भारतीय संस्कृति से संबंधित शिल्प अपनी-अपनी शैली में तैयार करेंगे। इन शिल्पकारों में भूपेश कावड़िया-उदयपुर, चित्रा ई. गोपी-एर्नाकुलम, डाॅ. बी. राकेश-बैंगलोर, जया विवेक-भोपाल, करूणामूर्ति-चेन्नई, नीरज अहिरवार-भोपाल, विशाल भटनागर-चंडीगढ़, पंकज गहलोत-पाली (राजस्थान), ट्सेरिग गुरमेत कुन्गयाम-लेह, टूटू पटनायक-नई दिल्ली, राजशेखर नायर-त्रिवेन्द्रम, श्रीनिवास रेड्डी-हैदराबाद, रेणु बाला-पठानकोट, राॅबिन डेविड-भोपाल, एम.के. वंजारी-मुम्बई एवं अनिल कुमार-भोपाल शिल्पकार/समन्वयक शामिल हुए हैं।
इस सर्जना शिविर में 6 से 7 फीट के वृहद शिल्प तैयार किये जायेंगे। शिविर में तैयार हुये शिल्पों की प्रदर्शनी का आयोजन अंतिम दिवस 28 फरवरी को रवीन्द्र भवन परिसर में ही होगा। गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर रवीन्द्र भवन की साज-सज्जा के उद्देश्य से ही शिल्पों को तैयार किया जा रहा है, जिन्हें रवीन्द्र भवन परिसर में अलग-अलग स्थानों पर स्थापित किया जायेगा। इस शिविर का समय प्रतिदिन प्रातः 10 बजे से सायं 5 बजे तक होगा।