सूचना :

राष्ट्रीय एवं राज्य सम्मान वर्ष - 2024 (अनुशंसाओं का आमंत्रण) | मध्यप्रदेश संस्कृति संचालनालय आपका स्वागत करता है

माननीय मुख्यमंत्री, डॉ. मोहन यादव

डॉ. मोहन यादव

माननीय मुख्‍यमंत्री
मध्‍यप्रदेश शासन
माननीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), श्री धर्मेंन्द्र सिंह लोधी

श्री धर्मेंन्द्र सिंह लोधी

माननीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
संस्कृति | पर्यटन | धार्मिक न्यास और धर्मस्व |
मध्‍यप्रदेश शासन

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कला पंचांग (वर्ष 2024-25)



कला पंचांग - हिंदी Cultural Calander - English

मध्‍यप्रदेश गान

सुख का दाता, सब का साथी, शुभ का यह संदेश है, मां की गोद, पिता का आश्रय, मेरा मध्यप्रदेश है।

विंध्याचल सा भाल, नर्मदा का जल जिसके पास है, यहां ताप्ती और बेतवा का पावन इतिहास है। उर्वर भूमि, सघन वन, रत्न सम्पदा जहां अशेष है, स्वर-सौरभ-सुषमा से मंडित, मेरा मध्यप्रदेश है।

सुख का दाता, सब का साथी, शुभ का यह संदेश है, मां की गोद, पिता का आश्रय, मेरा मध्यप्रदेश है।

क्षिप्रा में अमृत घट छलका, मिला कृष्ण को ज्ञान यहां, महाकाल को तिलक लगाने, मिला हमें वरदान यहां। कविता, न्याय, वीरता, गायन, सब कुछ यहां विशेष है, हृदय देश का यह, मैं इसका, मेरा मध्यप्रदेश है।

सुख का दाता, सब का साथी, शुभ का यह संदेश है, मां की गोद, पिता का आश्रय, मेरा मध्यप्रदेश है।

चंबल की कल-कल से गुंजित, कथा तान, बलिदान की, खजुराहो में कथा कला की, चित्रकूट में राम की। भीमबैठका आदिकला का, पत्थर पर अभिषेक है, अमृतकुंड अमरकंटक में, ऐसा मध्यप्रदेश है।

सुख का दाता, सब का साथी, शुभ का यह संदेश है, मां की गोद, पिता का आश्रय, मेरा मध्यप्रदेश है।

महेश श्रीवास्तव

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मध्यप्रदेश शासन की
संस्कृति नीति

  • प्रदेश में कलाओं की स्वतंत्रता और सम्मान के साथ विकास के अवसरों और साधनों की वृद्धि
  • प्रदेश की विशाल सांस्कृतिक परम्परा का संरक्षण
  • आम नागरिकों के लिए कलाओं के रसास्वादन के अवसरों का विकास
  • प्रदेश की आदिवासी और लोक संस्कृति के प्रामाणिक संरक्षण के लिए विशेष प्रयत्न
  • कला सम्बन्‍धी संस्थाओं का पुर्नगठन और विस्तार तथा कलात्मक गतिविधियों का विकेन्द्रीकरण
  • दुर्लभ होती जा रही शैलियों और रूपाकारों के लिए विशेष समर्थन

22 नवंबर, जवाहर कला केंद्र, जयपुर (राजस्थान)


संस्कृति संचालनालय

मध्यप्रदेश के विविध नैसर्गिक सुंदरता की तरह यहाँ की कला और संस्कृति भी बहुआयामी है। मध्यप्रदेश विभिन्न संस्कृतियों का संगम स्थल रहा है जैसा कि यह हिन्दुओं, जैनों, बौद्ध, मुस्लिम तथा विभिन्न जनजातियों का आश्रय स्थल रहा है। वास्तविकता में सभी प्रजातियों तथा विभिन्न कालखंडों ने पूरे प्रदेश में मंदिरों, स्तूपों तथा महलों के रूप में अपनी अमिट छाप छोड़ी है।

विशेष चयनित कलाकारों साहित्य मनीषियों को राज्य शासन द्वारा संस्थापित विभिन्न सम्मानों से सम्मानित करना, शासकीय कार्य व्यवहार में हिंदी भाषा के अधिकाधिक उपयोग का प्रचार-प्रसार, प्रोत्साहन करना, जिले से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण प्रासंगिक जानकारियों का संग्रहण कर जिला गजेटियर के रूप में प्रकाशन करने के साथ राज्य की कला संस्कृति व साहित्य का संरक्षण कर उसे प्रोत्साहन देना संस्कृति संचालनालय के प्रमुख कार्य हैं।

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