सुख का दाता, सब का साथी, शुभ का यह संदेश है, मां की गोद, पिता का आश्रय, मेरा मध्यप्रदेश है।
विंध्याचल सा भाल, नर्मदा का जल जिसके पास है, यहां ताप्ती और बेतवा का पावन इतिहास है। उर्वर भूमि, सघन वन, रत्न सम्पदा जहां अशेष है, स्वर-सौरभ-सुषमा से मंडित, मेरा मध्यप्रदेश है।
सुख का दाता, सब का साथी, शुभ का यह संदेश है, मां की गोद, पिता का आश्रय, मेरा मध्यप्रदेश है।
क्षिप्रा में अमृत घट छलका, मिला कृष्ण को ज्ञान यहां, महाकाल को तिलक लगाने, मिला हमें वरदान यहां। कविता, न्याय, वीरता, गायन, सब कुछ यहां विशेष है, हृदय देश का यह, मैं इसका, मेरा मध्यप्रदेश है।
सुख का दाता, सब का साथी, शुभ का यह संदेश है, मां की गोद, पिता का आश्रय, मेरा मध्यप्रदेश है।
चंबल की कल-कल से गुंजित, कथा तान, बलिदान की, खजुराहो में कथा कला की, चित्रकूट में राम की। भीमबैठका आदिकला का, पत्थर पर अभिषेक है, अमृतकुंड अमरकंटक में, ऐसा मध्यप्रदेश है।
सुख का दाता, सब का साथी, शुभ का यह संदेश है, मां की गोद, पिता का आश्रय, मेरा मध्यप्रदेश है।
महेश श्रीवास्तव
मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद को साहित्यिक सांस्कृतिक गतिविधियों को संचालित करने के लिए मध्यप्रदेश शासन द्वारा नियमित अनुदान दिया जाता है। परिषद के अतंर्गत कार्यरत अकादमियों द्वारा संस्कृति विभाग के मार्गदर्शी सिद्धान्तांे के अनुरूप कला और साहित्य के सरंक्षण, सवंर्धन और विकास के लिए कार्य किये जाते हैं। परिषद अपने अनुषंगों के माध्यम से विभाग के लिए निर्धारित विभागीय योजनाओं को विस्तार देते हुए मध्यप्रदेश परिषद के अन्तर्गत उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी, जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी, साहित्य अकादमी, कालिदास संस्कृत अकादमी, सिंधी साहित्य अकादमी, मराठी साहित्य अकादमी, भोजपुरी साहित्य अकादमी एवं पंजाबी साहित्य अकादमी कार्यरत हैं। मध्यप्रदेश शासन के आदेशानुसार मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी का विलय किया गया है।
अकादमी द्वारा वित्तीय वर्ष 2018-19 में अपनी प्रकृति अनुरूप विभिन्न सांगीतिक एवं अन्य कलाओं पर केंद्रित कार्यक्रमों का आयोजन एवं समन्वय किया गया है, जिनमें शास्त्रीय संगीत-नृत्य प्रशिक्षण कार्यशालाएँ, गुरु पूर्णिमा संगीत समारोह, नाना साहबे पानसे, उस्ताद लतीफ खाँ की स्मृति में दुर्लभ वाद्य प्रसगं, पं.नदं किशोर शर्मा स्मृति समारोह, राग अमीर समारोह, गढ़कुंडार महोत्सव, विरासत महोत्सव, पण्डित कृष्ण राव शकंर पण्डित स्मृति समारोह, तानसने समारोह - ग्वालियर, खजुराहो नृत्य समारोह - खजुराहो, अलाउद्दीन खाँ संगीत समारोह - मैहर, कुमार गन्धर्व समारोह - देवास, राग अमीर समारोह - इंदौर, इत्यादि प्रमुख समारोह हैं।
अकादमी के अन्तर्गत दो प्रमुख संगीत केन्द्र:-
ध्रुपद केन्द्र, भोपाल/ग्वालियर:-
हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की विशुद्ध एवं अत्यन्त प्राचीन गायन शैली ध्रुपद के नाम से विख्यात है। इस केंद्र ,में गुरु-शिष्य परम्परा के अतंर्गत छात्रवृत्ति पर विद्यार्थियों को ध्रुपद गायन का गहन प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
चक्रधर नृत्य केन्द्र, भोपाल:-
रायगढ़ घराने के महान नृतक महाराज चक्रधर सिंह की स्मृति में कथक नृत्य शैली की शिक्षा लगभग चार दशकों से अकादमी द्वारा गुरु-शिष्य परम्परा के अन्तर्गत प्रदान की जा रही है। चक्रधर नृत्य केंद्र से अनके छात्रा ने कथक नृत्य में उच्च प्रशिक्षण प्राप्त किया।
अकादमी मध्यप्रदेश में निवासरत जनजातीय और लोक संस्कृति विषयक सर्वेक्षण, दस्तावेज़ीकरण, प्रकाशन और समारोहों के आयोजन करती है। उक्त कार्य के विस्तार अन्तर्गत मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय -भोपाल, आदिवर्त जनजातीय और लाके कला राज्य संग्रहालय - खजुराहो, तुलसी शोध संसथान - चित्रकूट, त्रिवेणी कला एवं पुरातत्व संग्रहालय-उज्जैन और सवार्गं श्रीकृष्ण द्वारा सीखी कलाआंे की दीर्घा का संचालन उज्जैन में किया जा रहा है। पारम्परिक कलाओं के संरक्षण, सवंर्धन तथा बोलियों के विकास अन्तर्गत पुस्तक, पुस्तिकाओं एवं पत्रिका का नियमित प्रकाशन होता है।
वित्तीय वर्ष 2018-19 में अकादमी द्वारा विभिन्न प्रकृति के आयोजनों के अन्तर्गत तुलसी पर्व - उज्जैन, तलुसी जयन्ती समारोह - चित्रकूट, तलुसी उत्सव, रघुनाथ गाथा -चित्रकूट, जनजातीय चित्र प्रदर्शनी - खजुराहो जनजातीय चित्र शिविर- खजुराहो नदी महोत्सव - मंडलेश्वर, जनरंजन समारोह - हरदा, इंदल उत्सव-बड़वानी, माच समारोह -उज्जैन, शरदोत्सव-चित्रकटू , निमाड़ उत्सव-महेश्वर, लोकरगं समारोह-भोपाल, राष्टंीय शिल्प मेला-भोपाल, विविधा प्रदर्शनी-भोपाल, पहचान समारोह -दमोह और महाबोधि-साँची आयोजित किए गए हैं|
चौमासिक पत्रिका चौमासा के तीन अंकों क्रमशः 106, 107 और 108 का प्रकाशन, वृक्ष की उत्पत्ति कथाएँ, देवी गीत और रामा भील अनुषगं पुस्तिकाएँ, नाग केसर, फाग-फुहार, त्रिवेणी के लोक देव, कर्मा गीत, बुन्देली के होली गीत, विष्णोई संत परमानन्द बणिहाल, मालवा के भित्ति चित्र, देवी के 108 स्वरूप आधारित हिन्दी और अंग्रेजी में पृथक-पृथक देवी पुस्तकें श्रीकृष्ण द्वारा सीखी चौदह विद्याओं और चौसठ कलाओं आधारित पुस्तक सर्वांग हिन्दी एवं अंग्रेजी में तथा संस्कृति सलिला नर्मदा, वृक्ष पुराण, कालदर्शन, कहे जन सिंगा और सम्पदा पुस्तकांें का पुनर्प्रकाशन किया गया है।
सर्वेक्षण और दस्तावेजीकरण अन्तर्गत मध्यप्रदेश की सभी प्रमुख जनजातियों क्रमशः बैगा, भारिया, सहरिया, भील, कोरकू, काले, और गोंड के अलग-अलग पक्षों पर आधारित फिल्माकंन कार्य, अवसरानुकलू गाये जाने वाले गीतों का ध्वन्यांकन और मौखिक साहित्य का सकंलन किया गया है। प्रदेश की पिछड़ी जनजातियों क्रमशः बैगा, सहरिया और भारिया जनजातियों के विशाल सांस्कृतिक संदर्भकेन्द्रों की स्थापना हेतु कार्यवाही प्रचलन में है।भील बहुल क्षेत्र धार में भील जनजातीय संस्कृति सन्दर्भ केंद्र की स्थापना माण्डू का कार्य भी प्रचलन में है।
मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय, भोपाल | https://mptribalmuseum.com
जनजातीय जीवन, देशज ज्ञान परम्परा और सौंदर्यबोध पर एकाग्र संग्रहालय भोपाल में संचालित हैं। संग्रहालय में वर्तमान में पाँच दीर्घाएँ संचालित हैं जो क्रमशः जनजातीय जीवन, कलाबोध, देव लोक , छत्तीसगढ़ तथा जनजातीय बाल खेलों पर आधारित है। संग्रहालय में विभिन्न गतिविधियाँ वर्ष भर संचालित रहती है। विविध माध्यमों के शिविर संग्रहालय को समृद्ध करने तथा रख-रखाव एवं सज्जा की दृष्टि से संचालित होते हैं। वित्तीय वर्ष 2018-19 में गोण्ड जनजातीय के मूलाधारी आख्यान गोंडवानी और रामायणी का चित्राकंन, गोंड जनजातीय में प्रचलित नर्मदा की कथा का चित्रांकन, संग्रहालय का वर्षगाठं समारोह प्रत्यके शुक्रवार को रगं प्रयोगों के प्रदर्शन केन्द्रित समारोह अभिनयन, अन्तर्राष्टंीय जनजातीय दिवस अवसर पर समारोह , परम्परा में नव प्रयोगों एवं नवांकुरों के लिये प्रत्यके रविवार को उत्तराधिकार समारोह, जातक समारोह, बच्चों पर केंद्रित उल्लास समारोह, निर्गुण समारोह, पुतुल समारोह, सिद्धा समारोह, खेल शिविर आदि गतिविधियाँ आयोजित की गई हैं। संग्रहालय का 1,79,984 देशी पर्यटकों एवं 1155 विदेशी पर्यटकों ने अवलाकेन किया है।
संग्रहालय के विस्तार अन्तर्गत स्वर्गीय जनगण सिहं श्याम की स्मृति में पाटनगढ़, डिण्डोरी में कला केंद्र की स्थापना, रायसेन के गोंड बहुल क्षेत्र सुल्तानपुर में गोंड कला केंद्र की स्थापना और उमरिया में कला केंद्र की स्थापना के दिशा में कार्यवाही प्रचलन में है।
‘त्रिवेणी’ कला एवं पुरातत्व संग्रहालय, उज्जैन | http://trivenimuseumujjain.com
भारतीय ज्ञान परम्परा के त्रित्व शैव, शाक्त और वैष्णव परम्परा की विचार धाराओं की कला अभिव्यक्ति केंद्रित संग्रहालय त्रिवेणी सिंहस्थ-2016 के अवसर पर लोकार्पित हुआ है। संग्रहालय में इन तीनों ही परम्पराओं की चित्र एवं शिल्प अभिव्यक्तियाँ की गई हैं। एक दीर्घा प्रदर्शनी के लिये है जिसमें समय-समय पर अलग-अलग विषयों को प्रदर्शित किया जाता है। उज्जैन स्थित सांदीपनि आश्रम में श्रीकृष्ण द्वारा सीखी चौदह विद्याओं और चौसठ कलाओं की दीर्घा सवार्गं नाम से संचालित की जाती है।
वर्ष 2018-19 में संग्रहालय के विस्तार अन्तर्गत अठारह पुराणों में से पन्द्रह पुराणों का भारतीय लोक चित्र शैलियों में चित्राकंन कार्य आरम्भ किया गया है। व शेष तीन पुराण आगामी वित्तीय वर्ष में चित्रांकित कराये जा सकेंगे। सभी पुराण अलग-अलग चित्र शैलियों में चित्रित कराया जाना सुनिश्चित किया गया है। यह अपने आप में देश का पहला प्रयास है। संग्रहालय में प्रत्यके माह शैव, शाक्त और वैष्णव ज्ञान धाराओं के विविध विषयों आधारित व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं। नवरात्रि के अवसर पर पाँच दिवसीय लीला प्रस्तुति, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर ललित पर्व, महाशिव रात्रि के अवसर पर महोत्सव और सिद्धा समारोह का आयोजन किया गया है।
साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष भर साहित्य के मूर्धन्य विद्वानों/लेखकों/साहित्यकारों/कवियों एवं संतों पर विविध स्वरूप के कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। बुन्दलेखण्ड अंचल के ऐतिहासिक स्थल ओरछा में केशव जयंती समारोह का आयोजन 1987 से स्थानीय प्रशासन के सहयोग से किया जा रहा है। मध्यप्रदेश होशंगाबाद में जन्मे पंिडत माखनलाल चतुर्वेदी राष्टंीय धारा के कवि हैं। प्रदेश एवं हिन्दी साहित्य के कालजयी कवि पंडित चतुर्वेदी के नाम पर वर्ष 1987 से प्रारंभ किए गये इस आयोजन की सार्थकता, प्रदेश और स्थानीय जनमानस के लिए प्रभावी रहती है। हिन्दी आलोचक डॉ. रामविलास शर्मा के नाम पर समकालीन आलोचना की स्थिति, उसकी दिशा और साहित्य के महत्त्व पर प्रदेश और देश के युवा और ख्यातिनाम समकालीन रचनाकारों और अलोकचाकों द्वारा विचार विमर्श किया जाता है। सृजन-संवाद 'अनुसूि चत जनजाति के रचनाकारों की कार्यशाला' प्रदेश में अनुसूचित जनजाति के रचनाकारों की बहुलता है। साहित्य अकादमी इन रचनाकारों को प्रोत्साहन एवं बढ़ावा देने के उद्देश्य से दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन प्रतिवर्ष करती है। क्रांतिकारियों पर विशेष महाकाव्य लिखने वाले श्रीकृष्ण सरल पर वर्ष 2006 से प्रतिवर्ष आयोजन किया जाता है। ये अमर शहीदों के कवि के रूप में विख्यात हैं। संस्कृति विभाग के द्वारा आयोजित कवि सम्मेलनों में दिवगंत कवियों पंडित ओम व्यास ओम एवं श्री लाड़ सिहं गुर्जर स्मृति कवि सम्मलेन आयोजित किये जाते हैं।
श्री हरिशकंर परसाई प्रदेश ही नहीं देश के ख्यातिनाम व्यंग्यकार रहे हैं। देश के शीर्षस्थ व्यंग्यकार श्री परसाई के नाम पर 1986 से स्मृति समारोह आयोजित हो रहा है। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का जन्मदिन 3 अगस्त ‘कवि दिवस’ के रूप में प्रतिवर्ष मनाया जाता है। वर्ष 1988 से भारतीय स्वतत्रंता आंदोलन और राष्ट्रीय काव्य धारा की प्रमुख कवियित्री सुभद्रा कुमारी चौहान पर एक कार्यक्रम आयोजित किया जाता रहा है। ख्यातिनाम व्यंग्यकार श्री शरद जोशी की स्मृति में वर्ष 2002 से एक आयोजन की स्थापना की गई है। इस समारोह के अतंर्गत प्रदेश और देश के व्यंग्य विधा में रचनारत् चर्चित और युवा रचनाकारों को राष्ट्रीय स्तर पर आमंत्रित किया जाता है। श्री गजानन माधव मुक्तिबोध के नाम पर 1987 से स्मृति समारोह विमर्श एवं पुनर्पाठ आयोजित किया जा रहा है। रीतिकाल के महत्वपूर्ण कवि पद्माकर जिनका संबंध सागर मध्यप्रदेश से रहा है, के नाम पर आयोजन वर्ष 1988 से साहित्य अकादमी लगातार कर रही है। बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ जी की स्मृति में वर्ष 1982 से प्रतिवर्ष उनके जन्म दिवस 8 दिसम्बर को नियमित आयोजन किया जा रहा है। भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से पुरस्कृत समकालीनता और आधुनिकता के हिमायती कवि श्री नरेश मेहता जिनका कर्मक्षेत्र भापेाल मध्यप्रदेश रहा है की स्मृति में विमर्श एवं रचना पाठ का आयोजन किया जाता है। वर्ष 2017 से प्रो प्रभाकर श्रोतीय पर व्याख्यान प्रारंभ किया है। इस वर्ष यह व्याख्यान जिला-उज्जैन में सम्पन्न किया गया। वर्ष 2007 से प्रतिवर्ष स्वामी विवेकानंद स्मृति समारोह उनके जयंती के अवसर पर विवेकानंद समारोह आयोजित किया जाता है। आयोजन विश्वविद्यालयों/महावद्यालयों में युवा छात्रों/ नागरिकों की उपस्थिति में किया जाता है। श्री अरविन्द के चितंन पर्व एवं विभिन्न भारतीय भाषाओँ के विद्वानों का व्याख्यान प्रतिवर्ष कराया जाता है।
साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष 2017 से गोपाल शरण सिहं स्मृति व्याख्यान प्रारंभ किया गया है। इस वर्ष यह व्याख्यान जिला-रीवा में सम्पन्न किया गया। साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष 2017 से प्रदेश की साहित्यिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों का सृजनात्मक-विमर्श दो दिवसीय प्रारम्भ किया गया। इस वर्ष आयोजन भोपाल में सम्पन्न हुआ। साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष 2017 से देश भर की प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाआंें के सम्पादकों का सृजनात्मक-विमर्श दो दिवसीय प्रारम्भ किया गया। इस वर्ष आयोजन भोपाल में सम्पन्न हुआ। महाकवि भूषण, शिवाजी और छत्रसाल के दरवारी कवि रहे हैं। उनके नाम से भूषण स्मृति समारोह विमर्श एवं रचनापाठ का आयोजन वर्ष 2006 से प्रतिवर्ष किया जाता है।
साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष 2017 से संतों पर व्याख्यानमालाओं का आयोजन प्रारंभ किया गया है। जिसमें महर्षि जमदग्नि, महामति प्राणनाथ, महर्षि जाबालि, राजा भर्तहरि, सतं सिंगाजी, ऋषि गालव आदि पर व्याख्यान आयोजित किये जा चुके ह।ैं
पाठकमचं के अतंर्गत वर्ष में एक दर्जन से अधिक साहित्यिक पुस्तकें और कई साहित्यिक पत्रिकाएँ, समस्त पाठक मचं केंद्रों को साहित्य अकादमी के माध्यम से भेजी जाती हैं। प्रदेश में लगभग 71 पाठक मचं केंद्र, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति तथा अन्य जिलों के साथ विश्वविद्यालय, महाविद्यालय में गठित हैं। स्थानीय साहित्यकारों को मचं प्रदान करने के उद्देश्य से प्रतिमाह निरंतर सृजन संवाद श्रृंखला आयोजित की जाती है।
सारस्वतम परिचर्चा उज्जैन, छिन्दवाडा, इन्दौर, कला शिविर उज्जैन शास्त्रीय नृत्य प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। संस्कृत नाट्य प्रशिक्षण कार्यशाला खण्डवा में आयोजित की गयी। समरस कलाशिविर का आयोजन किया गया। अनुसूचित जाति के पन्द्रह कलाकारों ने पट्ट शैली, तंजोर शैली एवं कलमकारी शैली में कालिदास साहित्य पर आधारित चित्राकंन किया। वन-जन कला शिविर बान्धवगढ़ में 19 जनजातीय कलाकारों द्वारा रघुवंशम पर केन्द्रित चित्राकंन किया गया। उज्जैन में वर्णागम शिविर का आयोजन कालिदास के ऋतुसंहार पर किया गया। इसमें जलरगं 'वॉश पैंटिंग' के कलाकारांे ने चित्राकंन किया। नाट्य समारोह संस्कृत नाट्य महोत्सव का आयोजन इन्दौर में किया गया। इस अवसर पर तीन संस्कृत नाटकों की प्रस्तुति कलाकारों द्वारा दी गई। डॉ. शिवमगंल सिहं सुमन स्मृति बालनाट्यम समारोह , उज्जैन तीन दिवसीय आयोजन किया गया। इसमें बच्चों द्वारा संस्कृत नाटकों की प्रस्तुति दी गई।
विविध आयोजन- संस्कृत गौरव दिवस, वाल्मीकि समारोह, भोज समारोह, कल्पवल्ली समारोह, अ.भा. भवभूि त समारोह, भर्तृहरि प्रसगं, शकंर समारोह , कालिदास प्रसगं, बाणभट्ट समारोह, अखिल भारतीय राजशेखर समारोह का आयोजन किया गया।
पुरस्कार- श्रेष्ठ कृति पुरस्कार योजना के अतंर्गत संस्कृत साहित्य के वर्ष 2015-16 की श्रेष्ठ कृतियों को इस अवसर पर पुरस्कृत किया गया। अ.भा. कालिदास पुरस्कार, प्रादेशिक भोज, व्यास एवं राजशेखर पुरस्कार प्रदान किए गए। राष्टंीय कालिदास चित्र एवं मूर्तिकला के चार पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं।
प्रकाशन - पाणिनीय शिक्षा का द्वितीय सस्ं करण प्रकाशित किया गया। कालिदास के जीवन वृत्त पर केि न्द्रत नाटक कालिदासचरितम् का सस्ं कृत हिन्दी एवं मालवी भाषा म,ंे माच लाके बाले ी पर केिन्द्रततीनलाके नाट्योंकालिदास,शाकुन्तला,राजाविक्रमादित्यकाएकसम्पुटमेंप्रकाशन,महाकवि भवभूि त पर केि न्द्रत भवभूि त उपन्यास, ऋतुसहं ार के हिन्दी पद्यानुवाद, कालिदास शाध्े ा पत्रिका के तीन अकं ांे का प्रकाशन तथा स्मारिका “पुनर्नवा” एवं समाचार पत्रिका “वृतातं ” का प्रकाशन किया गया।
इस वर्ष सिंधी साहित्य अकादमी द्वारा निम्नलिखित आयोजन किये गये: संत कंवरराम जयंती समारोह दमोह, सिंधु दर्शन यात्रा लेह-लद्दाख, राष्टंीय सिंधी नाट्य समारोह-इन्दौर एवं ग्वालियर नाट्य प्रस्तुतियां, राष्टंीय सिंधी कवि सम्मेलन-भोपाल, राष्टंीय साहित्यकार सम्मलेन 'दो दिवसीय' पचमढ़ी, राष्ट्रीय चेतना जासुर सतं नगर, भोपाल, कृष्णा खाटवानी प्रसंग-इन्दौर, वक्तव्य एवं नाट्य प्रस्तुति, सिंधु महोत्सव सतं नगर, भोपाल, प्रादेशिक सिंधी कवि सम्मेलन सतना, सिंधु आइडल भोपाल, भगत गायन -पारम्परिक सिंधी गायन भोपाल, जागरुकता केन्द्रित नाट्य मंचन मन्दसौर, सागर, सुहिणा सिंधी समारोह दतिया, राष्टंीय सिंधी फिल्म समारोह हेमू कालानी शहीदी दिवस, पाठक मंच 10 शहरों में इन्दौर, बुरहानपुर, जबलपुर एवं खण्डवा आदि, कार्यशाला/शिविर/सेमीनार, रचनापाठ, युवा प्रशिक्षण कार्यशाला भोपाल, ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर सतं नगर शुजालपुर, मैहर, सिंधी अद्बी महफिल- भोपाल में युवा रचनाकारों की कार्यशाला, पचमढ़ी, नवीन सिंधी भाषी कलाकारों का चयन शिविर जबलपुर/भोपाल, पाण्डुलिपि एवं अनुवाद सिंधी, अरबी देवनागरी, सिन्धु मशाल पत्रिका का प्रकाशन लगातार किया जा रहा है।
उर्दू अकादमी का गठन राज्य शासन द्वारा वर्ष 1976 में किया गया। 02 जुलाई 2014 में अकादमी का विलय किया गया है। अकादमी मध्यप्रदेश में उर्दू भाषा, तालीम और साहित्य के प्रोत्साहन, सरंक्षण के लिये आवश्यक प्रयत्न करती है। नये रचनात्मक और आलोचनात्मक उर्दू साहित्य का प्रकाशन। साहित्य सम्मलेन परिचर्चा, गोष्ठियां आदि का आयोजन। लायब्रेरियों को इमदाद, जरूरतमदं और बीमार लेखकों को माली मदद, साहित्यिक और सांस्कृतिक इदारों को उनके आयोजनों के लिये सहायता प्रदान करती है। उर्दू अकादमी द्वारा मुख्य रूप से निम्नलिखित कार्य किए गए:-
उर्दू साहित्य के 07 शायरों/अदीबों की पुस्तकें प्रकाशित करने हेतु आर्थिक सहायता दी गई तथा 05 पुस्तकें अकादमी द्वारा प्रकाशित की गईं इसके अतिरिक्त 04 शायरों /अदीबों के मोनोग्राफ प्रकाशित किये गये। म.प्र. उर्दू अकादमी द्वारा इस वर्ष कला पंचांग में अंकित 22 राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय आयोजन किये गए हैं जिनमें कव्वाली, मुशायरा, सेमिनार, जश्ने ईद सूफ़ियाना, इकबाल समारोह, जश्ने उर्दू यह सभी कार्यक्रम भोपाल, शिवपुरी, बुरहानपुर एवं जबलपुर में आयोजित किये गये। मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा नई प्रतिभाओं को तलाश करने हेतु प्रदेश के सभी संभागों जैसे भोपाल, उज्जैन, इन्दौर, सागर, जबलपुर, ग्वालियर, चम्बल एवं रीवा इत्यादि में “तलाशे जौहर” का आयोजन किया गया। उर्दू अकादमी के उल्लेखनीय कार्याें में एक प्रमुख कार्य अकादमी स्थित पुस्तकालय का डिजिटाइजेशन का है जो इस वर्ष हुआ है। अन्य उल्लेखनीय गतिविधियों में अनुवाद प्रकोष्ठ की स्थापना है। इसमें अभी तक गुलाबी उर्दू के जनक मुल्ला रमुजी की उर्दू में लिखी हुई तीन पुस्तकों का देव नागरी में अनुवाद किया गया है। उर्दू अकादमी द्वारा हर वर्ष शायरों/अदीबों को उनकी लम्बी खिदमात के लिये सम्मान देती है। इसमें 06 अखिल भारतीय एवं 13 प्रादेशिक सम्मान शामिल हैं। अखिल भारतीय सम्मान की राशि रुपये 51,000/- एवं प्रादेशिक सम्मान की राशि रुपये 31,000/- है। उर्दू अकादमी द्वारा उर्दू सिखाने की कक्षाओं का संचालन मुल्ला रमूजी संस्कृति भवन, नालन्दा पब्लिक स्कूल, अरेरा कॉलोनी, सिरोंज एवं ग्वालियर में किया जाता है। अकादमी द्वारा निःशुल्क गजल कक्षा - रजिस्ट्रेशन रुपये 100/-, उर्दू डिप्लोमा कोर्स - रजि. रु. 200/-, परशियन प्रमाण पत्र कोर्स - रजि. रु. 200/-, अरबी प्रमाण पत्र कोर्स - रजि. रु. 200/- एवं कैलीग्राफी एवं ग्राफिक डिजाईन की शिक्षा की व्यवस्था की गई है। उर्दू अकादमी द्वारा त्रैमासिक पत्रिका तमसील एवं खबरनामा मौजे नर्मदा का प्रकाशन कर देशभर में वितरण किया जाता है।
उर्दू अकादमी द्वारा उर्दू में 90 प्रतिशत या इससे अधिक अकं प्राप्त कर उत्तीर्ण होने वाले हाई स्कूल एवं हायर सेकेंड्री के छात्र-छात्राओं को पुरस्कार राशि दी जाती है। प्रथम पुरस्कार रुपये 2,000/-, द्वितीय पुरस्कार रुपये 1,500/- एवं तृतीय पुरस्कार रुपये 1,000/- के दिये जाते हैं। इनके अलावा बी.ए, एम.ए. एवं एम.फिल में उर्दू विषय में 70 प्रतिशत या इससे अधिक अकं प्राप्त करने वालों को प्रथम पुरस्कार राशि रुपये 5,000/-, द्वितीय पुरस्कार राशि रुपये 4,000/- एवं तृतीय पुरस्कार राशि रुपये 3,000/- दिये जाते हैं इसके अतिरिक्त ट्रॉफी एवं प्रमाण-पत्र भी दिये जाते हैं। यह पुरस्कार भोपाल, खण्डवा, इन्दौर, बुरहानपुर, उज्जैन, सिरोंज, देवास, ग्वालियर, कुरवाई एवं सीहारे के छात्र-छात्राओं को दिये गये। उर्दू सप्ताह के अन्तर्गत प्रदेश के भोपाल, इन्दौर, खण्डवा, बुरहानपुर, जबलपुर, बड़वानी एवं सीहोर के विद्यालय/महाविद्यालय के 286 विजेता छात्र-छात्राओं को प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार दिया गया। जिसमें नगद राशि, टंाफी एवं प्रमाण-पत्र दिये गये।
मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग के अन्तर्गत मध्यप्रदेश में मराठी कला, संस्कृति एवं साहित्य को प्रोत्साहन, सरंक्षण देने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद् के अन्तर्गत मराठी साहित्य अकादमी का गठन किया गया। अकादमी 2010 से निरतंर अपने लक्ष्य एवं उद्देश्य की आरे अग्रसर है। अकादमी द्वारा इस वर्ष बहुविध साहित्यिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियां सम्पन्न की गईं। लोकधारा रंगयात्रा: पीथमपुर में आयोजित समारोह में ‘‘संत तुकाराम चरित‘‘ एवं ‘‘मराठमोळी लोकधारा‘‘ की वृहद प्रस्तुति सम्पन्न हुई। संतवाणी, भोपाल, मराठी नाट्य प्रसंग, छिदंवाडा, बोलावा विठ्ठल, भोपाल जिसमें देशों के शीर्षस्थ गायक जयतीर्थ मुवेन्डी तथा रंजनी एवं गायत्री बालासुब्रहमण्यम् द्वारा कर्नाटक शैली में मराठी अभगं भजन व भक्ति संगीत की प्रस्तुति दी गई। रजत रंग, भोपाल, तीन दिवसीय मराठी फिल्मोत्सव में फिल्म प्रीमियर के साथ सिनेमा के दिग्दर्शक एवं मुख्य पात्र विशेष रूप से उपस्थित रहे। श्री गुरु गोविंद सिंह जी की 350वीं जयंती-बुरहानपुर, शारदोत्सव-विदिशा, मराठी जत्रा-इंदौर, शारदोत्सव-सागर, दिवाली पहाट-भोपाल, कोचकर स्मृति नाट्य प्रसंग-बालाघाट, आवर्तन-बुरहानपुर, कृति वैशिष्ठ्य-इंदौर, संतवाणी, गीत रामायण, भारत भवन, भोपाल।
मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग के अतंर्गत संस्कृति परिषद् के अनुषगं के रूप में भोजपुरी साहित्य, संस्कृति और कला के सम्मान, सरंक्षण, विकास और प्रोत्साहन के लिये भोजपुरी साहित्य अकादमी का गठन जुलाई, 2013 में किया गया। अकादमी अपने उद्देश्यों के अनुरूप भोजपुरी भाषा, साहित्य, कला, संस्कृति, इतिहास, नृत्य संगीत, गीत, सिनेमा नाटक आदि विधाओं से सम्बंधित अकादमिक शोधपरक कार्याें और पारम्परिक आधुनिक समकालीन सृजनात्मकता पर कार्य कर रही है।
वर्ष 2018-19 में मण्डीदीप जिला-रायसेन में बसतं पचंमी महापर्व में ख्यात गायक श्री मुकेश तिवारी की प्रस्तुति हुई। संस्कृति विभाग द्वारा जनवरी, 2018 में ओंकारेश्वर में आयोजित एकात्म पर्व में अकादमी ने समन्वय एवं कतिपय व्यवस्थाओं का कार्य किया। भोपाल में अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिक फिल्म समारोह का आयोजन किया गया। इसके अतंर्गत महत्वपूर्ण विमर्श भी आयोजित हुये। दमोह में भिखारी ठाकुर स्मृति नाट्य समारोह आयोजित हुआ। अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा समारोह का आयोजन अकादमी ने किया। राष्टंीय नाट्य विद्यालय के आयोजन थियेटर ओलम्पिक में मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग की ओर से अकादमी ने स्थानीय सहयोग एवं वांिछत समन्वय का कार्य किया।
पाथाखेड़ा, सारनी जिला-बैतलू में कजरी बिरहा गायन समारोह में पारम्परिक गायन प्रस्तुतियाँ संयोजित की गई। सतना में स्वाधीनता दिवस का लोक पर्व के अतंर्गत गायन एवं नाट्य प्रस्तुतियाँ करायी गई। जबलपुर में छन्द प्रसंग आयोजन के अतंगर्त भोजपुरी रचनाओं पर आधारित शास्त्रीय/पारम्परिक नृत्य प्रस्तुत हुए। कटनी में भिखारी ठाकुर स्मृति समारोह आयोजित हुआ। भोपाल में छठ प्रसंग, होशंगाबाद में निर्गुण समारोह एवं मैहर, जिला-सतना में ठमुरी समारोह आयोजित किये गये।
पंजाबी साहित्य अकादमी का गठन मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग ने मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद के अन्तर्गत मध्यप्रदेश में पंजाबी भाषा, साहित्य, कला, शिल्प, संस्कृति, रंगमंच, सिनेमा, नाटक एवं अन्य बहुविध रचनात्मक कार्यों के सरंक्षण, सवंर्धन, विस्तार, युवाओं को पंजाबी भाषा, परम्पराओं एवं संस्कृति के प्रति अभिरूचि और प्रोत्साहन के उद्देश्यों की प्रतिपूर्ती के लिये किया है। वर्तमान वित्तीय वर्ष की महत्वपूर्ण गतिविधियाँ इस प्रकार हैं बैसाखी पर्व गुना, बैसाखी पर्व संकीर्तन की प्रस्तुति अशोक नगर, बैसाखी पर्व पंजाबी लोकनृत्य एवं लोकगायन ग्वालियर, बैसाखी महोत्सव- उज्जैन, बैसाखी महोत्सव-इन्दौर , विरसा पंजाब दा-खरगौन, प्रशिक्षण एवं कार्यशाला/शिविर-जबलपुर, अभ्यास वर्ग सेमिनार-इन्दौर, सेमिनार एवं नाट्य प्रदर्शन रतलाम, सेमिनार एवं नाट्य प्रदर्शन-बड़वानी, शहादत गाथा-खरगौन, सूफियाना गायन इन्दौर, नाट्य समारोह-छिन्दवाडा़, गुरुनानक देवजी की जयंती-सागर, स्मरण एवं चल समारोह गुना, शहीद दिवस-बालाघाट।
युवा रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रेमचंद सृजनपीठ-उज्जैन, मुक्तिबोध सृजनपीठ-सागर एवं निराला सृजनपीठ-भोपाल में स्थापित हैं।
बाल साहित्य सृजनपीठ, इंदौर की स्थापना अक्टबूर, 2008 में की गई। सृजनपीठ ने अपनी स्थापना के तुरतं बाद से ही प्रदेश में नई पीढ़ी को साहित्य सृजन की दृष्टि से प्रशिक्षित करना प्रारंभ किया है। बच्चों में सृजनात्मक प्रतिभाओं के विकास के लिए साहित्य सृजनपीठ, इन्दौर द्वारा प्रान्तीय स्तर पर बाल साहित्य की विविध विधाओं में लेखन की प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं। इन कार्यशालाओं में नगर के सभी प्रमुख विद्यालयों के बच्चों की सहभागिता रही। बाल साहित्य की विविध विधाओं की बच्चों के लिए प्रशिक्षण कार्यशालाएं लगाई गयीं।
भारत भवन की स्थापना 13 फरवरी 1982 को हुई थी। भारत भवन एक बहुकला केन्द्र है जो श्यामला हिल्स पर बड़ी झील के किनारे सुिवख्यात वास्तुिवद चार्ल्स कोरिया द्वारा आकल्पित विशाल इमारत में स्थित है। इसके परिसर में अनके दीर्घाएं, सभागार, संग्रहालय, पुस्तकालय, अभिलेखागार, कार्यशालाएं आदि स्थित हैं। मध्यप्रदेश शासन द्वारा पूर्णतः वित्तपोषित भारत भवन मध्यप्रदेश एक्ट 1951 के अन्तगर्त पंजीकृत एक स्वायत्त न्यास है।
भारत भवन का उद्देश्य कलाओं का सरंक्षण, अनुसंधान, संवर्धन और विस्तार करते हुए सजृनात्मक कलाओं के क्षेत्र में उत्कृष्टता के राष्ट्रीय केंद्र के रूप में स्थापित होना, जनजातीय और लोक कलाओं के क्षेत्र में हो रहे व्यवस्थित और वैज्ञानिक अध्ययन का सवंर्द्धन, प्रोत्साहन और समर्थन करना, कलात्मक प्रस्तुतियाँ, प्रदर्शनों, मल्टी मीडिया पक्षरूपों, परिसंवादों, सम्मेलनों आदि के माध्यम से आलोचनात्मक संवाद का सक्रिय मचं तैयार करना, सृजनात्मक, कलात्मक प्रक्रियाओं के व्यवस्थित वैज्ञानिक अनुसंधान और समझ को समर्थन और प्रोत्साहन देते हुए विज्ञान और कलाओं के बीच के बौद्धिक अन्तराल को पाटना तथा कलाओं और संस्कृति के क्षत्रे में भावी अनुसंधानों के लिए अन्य राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय केंद्रों के साथ सम्पर्क एवं सहकार स्थापित करना है।
भारत भवन में रूपकंर 'आधुिनक तथा जनजातीय लोक कला केन्द्र तथा संग्रहालय', रंग मण्डल - नाट्य प्रभाग, वागर्थ - भारतीय कविता केन्द्र और पुस्तकालय, अनहद- शास्त्रीय और लोक संगीत का केन्द्र, छवि प्रभाग - उत्कृष्ट सिनेमा पर केन्द्रित और विश्व कविता केन्द्र आदि प्रमुख प्रभाग कार्यरत हैं।
वर्ष 2018-19 में अनेक सांस्कृतिक गतिविधियां एवं महत्वपूर्ण समारोह के साथ-साथ राज्यों की कला संस्कृति पर एकाग्र समारोह , हरियाणा महोत्सव, दिनमान समारोह , युवा-6, कविता कहानी पाठ, विशेष संगीत सभा, गायन पर्व, बादल राग, सप्तक, शेक्सपियर नाट्य समारोह , अतिथि नाट्य प्रस्तुति, आदराजंलि समारोह , प्रणति प्रदर्शनियां, परिधि आउटरिच, संवाद, फिल्म समारोह , पूर्वग्रह पत्रिका का नियमित प्रकाशन, भारत भवन की 37वीं वर्षगाठं समारोह में कला प्रदर्शनियां, कथक की समहू प्रस्तुति, गायन वादन संगीत-नृत्य की प्रस्तुतियां नाट्य प्रस्तुति, फिल्मों का प्रदर्शन के साथ ही पद्मभूषण एवं ग्रेमी अवार्ड से सम्मानित कलाकार पं. विश्वमोहन भट्ट का मोहनवीणा वादन, विश्वविख्यात तबलानवाज उस्ताद जाकिर हुसैन का तबला वादन, म.प्र. रंग उत्सव, महिला रचनाशीलता पर केिन्द्रत समारोह आदि कार्यक्रम आयोजित किये गये।
प्राकृतिक सौंदर्य और भोपाल की कला-संस्कृति की खूबसूरत विरासत को समेटे शहर के बीचों-बीच स्थित रवींद्र भवन वर्ष 1962 से शहर की सांस्कृतिक धड़कन बना हुआ है। अब ये नये दौर में एक नई इबारत गढ़ रहा है। इसका जीता-जागता उदाहरण है रवींद्र भवन परिसर में बना नव-निर्मित रवींद्र सभागम केंद्र। जिसे कला की सभी विधाओं को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है। ये देश का पहला ऐसा केंद्र है जिसके सभागारों, दीर्घाओं और हॉल को शास्त्रीय संगीत की रागों के आधार पर नाम दिए गए। इस केंद्र का आकर्षण है मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा सभागार `हंसध्वनि', जिसकी दर्शक क्षमता 1500 है। शाम के इस खूबसूरत राग की तरह ही इस सभागार की बनावट भी सुरों की जादुई दुनिया में ले जाती है। इसके साथ ही 212 दर्शक क्षमता का गौरांजनी सभागृह (मिनी ऑडिटोरियम), जयजयवन्ती सभागार (बोर्ड रूम) क्षमता 80 व्यक्तियों का, मालकौश बैठक कक्ष क्षमता 40 व्यक्तियों की, कौशिकी उत्सव कक्ष (बैंक्वेट हॉल) क्षमता 350 व्यक्ति, 'मल्हार' ऑडियो रिकार्डिंग स्टूडियो, श्रीरंजिनी वीडियो रिकार्डिंग स्टूडियो, कुरंजिका भोजन कक्ष, वागीश्वरी अभ्यास कक्ष (रिहर्सल रूम), ललित कलाविथिकाएं (आर्ट गैलरी) आभावती कला कक्ष, सरस्वती पुस्तकालय कक्ष, सरस्वतीरंजनी मुद्रण / प्रकाशन कक्ष, केदारा-नट ऑडियो-वीडियो लाईब्रेरी कक्ष जैसी सुविधाएं शामिल हैं।
मध्यप्रदेश शासन द्वारा पूर्णतः वित्तपोषित ‘‘आचार्य शकंर सांस्कृतिक एकता न्यास‘‘ मध्यप्रदेश ट्रस्ट पब्लिक एक्ट 1951 के अतंर्गत पंजीकृत एक स्वायत्तशासी न्यास है।
न्यास का उद्देश्य आदि शकंराचार्य की भव्य प्रतिमा की ओंकारेश्वर में स्थापना है। आदि शकंराचार्य की प्रतिमा के लिए पूरे प्रदेश के गाँव-गाँव से धातु दान स्वरूप प्राप्त करना। भारतीय संस्कृति एकता के प्रतीक के रूप में आदि शकंराचार्य की प्रतिमा का प्रस्तुतीकरण। प्रतिमा स्थल के आस-पास सुव्यवस्थित जन-सुविधाएँ विकसित करना। ओंकारेश्वर पहचुं ने वाले मार्गाें के निर्माण और देख-रेख के लिए सम्बंधित विभागों से सतत् समन्वय करना। भारतीय अद्वैत ज्ञान और दर्शन से जुड़ी गतिविधियों के प्रोत्साहन एवं विचारों के आदान-प्रदान के लिए कार्यशाला, सेमिनार, शोध, संगोष्ठी, व्याख्यान इत्यादि का आयोजन करना। शकंराचार्य जी के द्वारा प्रौन्नत भारतीय सांस्कृतिक एकता की प्रदर्शनी एवं इसका लेज़र, प्रकाश एवं ध्वनि माध्यम से प्रदर्शन। न्यास के उद्देश्यों की पूर्ती के लिए भारत सरकार, राज्य सरकार, गैर शासकीय संस्थाओं/ संगठनों, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के निकायों तथा व्यक्तियों से सपंर्क, समन्वय तथा सहयोग स्थापित कर क्रियान्वयन। आचार्य शकंर अंतरराष्ट्रीय वेदांत संस्थान की स्थापना एवं संचालन।
‘‘आचार्य शकंर सांस्कृतिक एकता न्यास‘‘ का अस्थाई कार्यालय जनजातीय संग्रहालय, श्यामला हिल्स, भोपाल में संचालित हैं। आचार्य शकंर की प्रतिमा/संग्रहालय की स्थापना हेतु ओंकारेश्वर में मान्धाता पर्वत पर 4.26 हेक्टेयर भूिम आवंटित हो चुकी है। अंतर्राष्ट्रीय वेदांत संस्थान की स्थापना हेतु 10 हेक्टेयर भूिम आवटंन किये जाने हेतु पक्ररण जिला कलेक्टर खण्डवा के कायार्लय में विचाराधीन है।
वर्ष 2018-19 में आचार्य शकंर के अद्वैत वेदांत दशर्न के लोक व्यापीकरण हेतु, मासिक गतिविधि के रूप में शकंर व्याख्यानमाला का आयोजन भोपाल, जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर में किया गया है। इस व्याख्यानमाला में अद्वैत वेदांत दर्शन के विषय विशेषज्ञों का व्याख्यान एवं विभिन्न कलाकारों के द्वारा आचार्य शकंर विरचित स्त्रोतों का गायन किया जाता है। इसी व्याख्यानमाला के अतंगर्त विद्यालयीन/महाविद्यालयीन छात्र/छात्राओं के साथ प्रेरणा संवाद कायर्क्रम भी आयोजित किया जाता हैं। प्रदेश शकंर व्याख्यानमाला का आयोजन हो चुका है। शकंर व्याख्यानमाला के आयोजन के पर्वू विद्यालयों/महाविद्यालयों एवं अन्य संस्थानों में अद्वतै अद्वैत वेदांत दर्शन पर पीर -इवेंट टाकॅ का भी आयोजन किया जाता है।