ख़बरें / जानकारियाँ

'अशासकीय संस्थाओं को अनुदान योजना' अंतर्गत: वर्ष 2024-25 हेतु आवेदन आमंत्रण

राष्ट्रीय एवं राज्य सम्मान वर्ष - 2024 (अनुशंसाओं का आमंत्रण)

लोगो डिजाइनिंग प्रतियोगिता

वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए अशासकीय संस्थाओं को अनुदान स्वीकृति आदेश

सहायक व्याख्याता (गायन) के दिव्यांगजन (लोकोमीटर डिसेबिलिटी) पद हेतु वॉक-इन-इन्टरव्यू की सूचना

अशासकीय संस्थओं को अनुदान योजना हेतु वर्ष 2023-24 के लिए आवेदन आमंत्रण

वॉक-इन इंटरव्यू के माध्यम से दिव्यांगजनों की भर्ती हेतु विज्ञापन एवं आवेदन पत्र

मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय : सत्र 2024-26 में दो वर्षीय पी.जी.डिप्लोमा इन नाट्य रंगमंच पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु सूचना एवं आवदेन पत्र

संस्कृति विभाग के राष्ट्रीय एवं राज्य सम्मान वर्ष - 2023 (अनुशंसाओं का आ

विज्ञापन - संस्कृति विभाग के राष्ट्रीय एवं राज्य सम्मान वर्ष - 2023 (अनुशंसाओं कमंत्रण)

श्री रामचन्द्र पथगमन न्यास परियोजना के लिये प्रोजेक्ट मैनेजर पद पर आवेदन (14/01/2024)

मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग के राष्ट्रीय सम्मानों की घोषणा

युवाओं को कला प्रशिक्षण फैलोशिप-2023 योजना

आर्काइव खबरें/जानकारियाँ


मध्‍यप्रदेश गान

सुख का दाता, सब का साथी, शुभ का यह संदेश है, मां की गोद, पिता का आश्रय, मेरा मध्यप्रदेश है।

विंध्याचल सा भाल, नर्मदा का जल जिसके पास है, यहां ताप्ती और बेतवा का पावन इतिहास है। उर्वर भूमि, सघन वन, रत्न सम्पदा जहां अशेष है, स्वर-सौरभ-सुषमा से मंडित, मेरा मध्यप्रदेश है।

सुख का दाता, सब का साथी, शुभ का यह संदेश है, मां की गोद, पिता का आश्रय, मेरा मध्यप्रदेश है।

क्षिप्रा में अमृत घट छलका, मिला कृष्ण को ज्ञान यहां, महाकाल को तिलक लगाने, मिला हमें वरदान यहां। कविता, न्याय, वीरता, गायन, सब कुछ यहां विशेष है, हृदय देश का यह, मैं इसका, मेरा मध्यप्रदेश है।

सुख का दाता, सब का साथी, शुभ का यह संदेश है, मां की गोद, पिता का आश्रय, मेरा मध्यप्रदेश है।

चंबल की कल-कल से गुंजित, कथा तान, बलिदान की, खजुराहो में कथा कला की, चित्रकूट में राम की। भीमबैठका आदिकला का, पत्थर पर अभिषेक है, अमृतकुंड अमरकंटक में, ऐसा मध्यप्रदेश है।

सुख का दाता, सब का साथी, शुभ का यह संदेश है, मां की गोद, पिता का आश्रय, मेरा मध्यप्रदेश है।

महेश श्रीवास्तव

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रवींद्र भवन, भोपाल

प्राकृतिक सौंदर्य और भोपाल की कला-संस्कृति की खूबसूरत विरासत को समेटे शहर के बीचों-बीच स्थित रवींद्र भवन वर्ष 1962 से शहर की सांस्कृतिक धड़कन बना हुआ है। अब ये नये दौर में एक नई इबारत गढ़ रहा है। इसका जीता-जागता उदाहरण है रवींद्र भवन परिसर में बना नव-निर्मित रवींद्र सभागम केंद्र। जिसे कला की सभी विधाओं को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है। ये देश का पहला ऐसा केंद्र है जिसके सभागारों, दीर्घाओं और हॉल को शास्त्रीय संगीत की रागों के आधार पर नाम दिए गए। इस केंद्र का आकर्षण है मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा सभागार `हंसध्वनि', जिसकी दर्शक क्षमता 1500 है। शाम के इस खूबसूरत राग की तरह ही इस सभागार की बनावट भी सुरों की जादुई दुनिया में ले जाती है। इसके साथ ही 212 दर्शक क्षमता का गौरांजनी सभागृह (मिनी ऑडिटोरियम), जयजयवन्ती सभागार (बोर्ड रूम) क्षमता 80 व्यक्तियों का, मालकौश बैठक कक्ष क्षमता 40 व्यक्तियों की, कौशिकी उत्सव कक्ष (बैंक्वेट हॉल) क्षमता 350 व्यक्ति, 'मल्हार' ऑडियो रिकार्डिंग स्टूडियो, श्रीरंजिनी वीडियो रिकार्डिंग स्टूडियो, कुरंजिका भोजन कक्ष, वागीश्वरी अभ्यास कक्ष (रिहर्सल रूम), ललित कलाविथिकाएं (आर्ट गैलरी) आभावती कला कक्ष, सरस्वती पुस्तकालय कक्ष, सरस्वतीरंजनी मुद्रण / प्रकाशन कक्ष, केदारा-नट ऑडियो-वीडियो लाईब्रेरी कक्ष जैसी सुविधाएं शामिल हैं।

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